Friday, November 21, 2014

राजस्थान – एक मधुर स्मृति

राजस्थान में रहने का सौभाग्य कॉलेज के समय मिला ,इंजीन्यरिंग के  2nd इयर में मुझे  अपने कुछ साथियों के साथ NSS ( राष्ट्रीय सेवा योजना ) से जुडने का मौका मिला , हमारे गाइड गौरव सर  विमल सोनी सर थे, उनके कुशल नेतृत्व में हमने कुछ गावों में जमीनी स्तर पर काम किया। राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत हमे अपने जूनिर्स के साथ काफी अच्छी अच्छी जगह जाने का मौका मिला जिन में से कुछ प्रमुख है ,हर्ष की पर्वत शृंखला, रेवासा की गऊ- साला और कुछ गिरि पर बसे दुर्ग (devgarh fort) जिनमें आज भी सरकार चाहे हो अपने संरक्षण में लाकर अच्छा मुनाफा ले सकती है । राष्ट्रीय सेवा योजना के अंतर्गत  हमने सड़क दुर्घटना व् उनसे  बचाव , प्लान्टेशन , डायबिटीज   दूसरे लाइफ स्टाइल   सम्बंधित  बिमारियां  उनके घरेलु  सस्ते बचाव के तरीके (being a student of biotechnology I had deep interest in these disease and finding a easy cure for these lifestyle disease, what today are being sold by big companies to prevent diabetes on high price after 2010 those method we had told through these awareness campaign in 2008-09 ) इत्यादि     पर  भी काम किया  जिनका जिक्र  कभी कभी लोकल पेपर्स में आ  जाता था , पर उनमें सिर्फ  इवेंट के  बारे में लिखते थे और बचाव के उपाय नहीं  ;)
सबसे अच्छा रहा था राजस्थान की गावों में जाना , हमे आज भी नहीं पता है की जिन गावों में हमने काम किया वो किनके गावों थे , ठाकुरों के , ब्राह्मणो के , जाटों गुर्जरों या और किसी जाती की पर जो प्यार हमारी टीम को वहाँ से मिला वो अविस्मरणीय है। हमने ऐसे घर भी देखे जहां 2 कमरो में 14 लोग थे और ऐसी भी हवेलियाँ देखी जहां  मुश्किल  से 4-5 लोग रहते थे । हमारी टीम ने कुशल संगरक्षन के आधार पर बच्चो में अच्छी आदतें डलवाने के लिए पुरस्कार का सहारा लिया और इसके अंतर्गत सोलर लैम्प कुछ मेधावी / कर्मठ  बच्चो को दिये गए थे। बायो-टेक के विद्यार्थी होने के कारण मुझे खुद मेडिकल बायो-टेक में जायदा रुचि थी और उसके सहारे हम लोग SARS (Severe acute respiratory syndrome) व मलेरिया का संक्रामण से  बचाव के लिए लोगो को शिक्षित करने, उन्हे बचाव के उपाय बताने की कोशिश कर रहे थे । हमारे साथ के जो लड़के थे वो खुले कुओं में मच्छर मारने  की दवा इत्यादि का  छीरकाव कर रहे थे। इसके साथ हमारी टीम बच्चे बूढ़े को और छोटी मोटी बातें बताने थे जो उन्हे काम आ सके। जब गॉव  वालों को बीमारी का सीधा रिस्ता सफाई से हमने जोड़कर दिखाया तो वो आशर्चकित रह गए और बच्चों के साथ बड़ो ने भी  अपने आस  पास सफाई रखने का संकल्प किया { हमारा सन २००८/०९  वो छोटा सा स्वच्छ गॉव अभियान था :) } कुछ महिलाए  काफी  भावुक हो गई थी , उन्होने हमारी काफी आवोभगत की और वहाँ हर हफ्ते /महीने आने का न्योता दिया....और इन्ही स्मृतिओं के आधार पर राजस्थान से इतना जुड़ गई हूँ की आज भी राजस्थान को मैं अपना दूसरा घर मानती हूँ ।
हमारा अगला पड़ाव  पास का एक दूसरा गाँव जहां बहुत बड़ी गोशाला थी ( पहली बार मैंने 7 तरह के गौ , उनके मंदिर , गौ तत्व से समान बनाने के प्रक्रिया देखी , सच कहूँ तो उस ट्रिप के बाद से ही मैंने स्वदेशी सामानो का उपयोग अपने जीवन में बढ़ा दिया था और अब जितना हो सकता है स्वदेशी चीज़ ही इस्तेमाल करती हूँ । इस आश्रम के पास जो दूसरा गाँव था वहाँ के गाँव वाले अपने सरपंच से खुश नहीं दिख रहे थे , घूमते समय देखा की अरावली की पर्वत शृंखला के नीचे बसे इस गाँव में गैर कानूनी पत्थर ( अरावली से ) काटने का काम भी तेज़ी से चल रहा है, सरपंच के साथ की बात में और मुद्दो के साथ जैसे की सफाई , शिक्षा इत्यादि के साथ  मैंने इस तरह उसका ध्यान आकर्षित किया तो उन्होने इससे कन्नी कट ली , सफाई पर उनका कहना था की हम नालियाँ साफ करवाते पर गाँव वाले इसमें कचरा डाल देते , गाँव वालों और सरपंच में जो घर की लड़ाई जैसी स्थिति स्पस्थ दिख रही थी...वो  साफ दिख रहा था और इस गृह युद्ध का कोई समाधान नहीं देखते हुए हमने एक कूटनीतिक कदम उठाया , हलाकी हमारे एनएसएस में लड़के भी थे, फिर भी हम पुरुष प्रधान समाज का धंभ को सीधे निशाना बनाने के लिए हम कुछ लड़कीओ ने  स्वयं  कुदाल /फावरा उठा लिया और सोचा की कम  से कम  1-2 नाले हम लड़कियाँ साफ कर दे , पर राजस्थान के लोगो में जो स्त्री जाती के लिए इज्ज़त था उसके कारण कुछ लोगो 5-7 मिनट बाद  हमारे पास आकार हमसे  फावरे ले लिया और बोला की वो लोग पंचायत के भरोसे नहीं रहेंगे और जहां रहते है वहाँ की सफाई खुद करेंगे। 
हमने  कुछ समान वितरण के बाद उनसे ये कहकर विदा लिया की आगे कभी भी उन्हे हमारे लायक कोई सेवा दिखे तो याद करे...... 
हम कॉलेज के स्टूडेंट्स थे , हमे नहीं पता की राजनीतिक लोग इन गरीबो के साथ कितनी सहनभूति दिखाते है पर कुछ लोगो ने वहीं हमे उनके गाँव के पंचायत-चुनाव  में खड़े होने का भी ऑफर दे दिया जिसे सुनकर मन विस्मित हो गया.... वापसी के  समय  मैं सोचने लगी थी की क्या चाहते है ये लोग बस थोड़ा सा प्यार , एक खुश हाल ज़िंदगी  , मुझे जैसे कॉलेज के स्टूडेंट को वोट बिना किसी प्रचार के देने को तैयार हो गए , वो भी १-२ दिन के काम पर , अगर हमारे राजनेता लोग वायदे करने के बजाये , पब्लिसिटी के बजाये इनके साथ कुछ समय बिताते , कुछ इनका दर्द बाँटते , इनके छोटे छोटे समस्या का समाधान करते तो चुनाव के समय असांविधानिक  तरीके से वोट खरीदने की जरुरत नहीं पड़ती।
प्रधान मंत्री और दूसरे सांसदों ने जो आदर्श ग्राम योजना के तहत  गॉव   सस्टेनेबल  ग्रोथ / डेवेलोपमेंट का सपना देखा है , अगर वो ठीक  भारत की तस्वीर बदल सकती है , सहायता करने के लिए हम youth  हर कदम पर आपको साथ साथ मिलेंगे ,पर हमे  वायदे नहीं सिर्फ सही काम दिखना चाहिए।

 जो काम हमने उन दिनों किया था किया वो अब सांसद ग्राम आदर्श योजना शाएद करे पर उन लोगो की साफ , सच्चे मन देखकर उनही दिनो के एक चाह दिल में आ गई , कम से कम उस मुकाम पर चली जाऊ जहां मेरे पास decision लेने की पावर हो , जहां मैं need based काम कर सकूँ 

(सन 2008-09 के स्मृतियों पर आधारित है)

जय हिन्द ! जय भारत 

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Pic: Devgarh fort, Sikar, Rajasthan

2 comments:

  1. Great memories and I am really happy to be part of that organizing team..
    Students like u motivate me to remain in the noble profession of teaching and serve the society and country. The trip to Devgarh was one of my favorite because I witnessed smile on every face whether they were serving or being served.

    This article is not only beautifully written but also touching the real society issues with simple examples and you proved the meaning of your name with this flow of article. kudos to you..
    great work, keep writing dear .. :)

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    1. thanks sir for going through this article..it was previlage to have guide and teacher like you, BDB sir and others who in real sense had developed our vision.
      those days had changed my life and had left a deep impact on my life...though we had carried out various seminars on diabetes, road awareness also but the trip to villages was best among rest

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